बीसवीं सदी के महानायक : बाबा साहब डा0 भीमराव अम्बेडकर
कुँ0 संदीप कुमार सिंह
एम0एस0डब्ब्यू0, एम0 फिल ,
शोधार्थी समाजशास्त्र
7112 ए0 बी0 नगर, कालेज रोड, उन्नाव
समय के प्रखर दलित चिंतक डा.वीरेन्द्रसिंह यादव का मानना है कि बाबासाहब भीमराव अम्बेडकर के सामाजिक न्याय एवं दलित आन्दोलन के अलावा जो महत्वपूर्ण विरासत है उसे आज हम भूलते चले जा रहे हैं क्योंकि डा0 भीमराव अम्बेडकर सिर्फ दलित समस्याओं पर ही नहीं सोचते थे अपितु वे तत्कालीन भारतीय समाज में घटित होने वाली लगभग हर समस्या की ओर उनकी द्रष्टि पैनी थी जो आपको अंतर्राष्ट्रीय नेता बनाती है। यह सच है कि भारत विभाजन पर जितनी गहरार्इ से आपने सोचा उतना शायद ही किसी ने सोचा हो। समाजवाद से तो आप लगातार मुठभेड़ करते ही रहे इसके साथ ही रुपये की समस्या पर भी डा0 भीमराव अम्बेडकर जी ने लम्बे-लम्बे लेख लिखे एवं वक्तव्य दिये। वे एक ऐसे भारत की कल्पना करते थे जिसमें सभी को न्याय मिलने के साथ-साथ सामाजिक विषमता भी न रहे। वैशिवक समस्याओं के प्रति आपकी दिव्य दृषिट थी जिसकी परिणति यह हुर्इ कि जब भारत के लिये संविधान निर्मित होने का प्रश्न आया तो ड्राफिटंग समिति के अध्यक्ष के रूप में आपसे बेहतर कोर्इ नाम नहीं आ सका। बाबा साहब डा0 भीमराव अम्बेडकर भी सिर्फ दलित मामलों के ही विशेषज्ञ होते तो स्वतंत्र भारत में उन्हें कानून मंत्री का दर्जा भला कौन देता ? आज इस बात को शिददत के साथ सोचने की आवश्यकता है कि बाबासाहब की इस विरासत को हम केवल दलितों तक ही सीमित न रखकर उनकी छवि को अंतर्राष्ट्रीय स्तर को ध्यान में रखकर ही अपनी दशा और दिशा तय करें । क्योंकि डा0 अम्बेडकर ऐसे भारत के बारे में सोचते थे जिसमें सभी को न्याय मिले और विषमता कम से कम हो। युगपुरुष बाबासाहब भीमराव जी का संविधान सभा में दिया हुआ भाषण इस बात का साक्षी है-आपका मानना है कि 'हमने कानून द्वारा राजनीतिक समानता की नींव रख दी है पर यह समानता तभी पूरी तरह से चरितार्थ होगी जब आर्थिक समानता भी देश में स्थापित होगी। यह चुनौती न केवल बनी हुर्इ है बलिक और तीव्र हो रही है। इन्हीं ही विचारों को केन्द्र में रखकर प्रस्तुत पुस्तक में देश के विभिन्न प्रान्तों के उच्च शिक्षा जगत से सम्बद्ध प्राध्यापकों, शिक्षाविदों, बुद्धिजीवियों, साहित्यकारों, दलित चिन्तकों , मनोवैज्ञानिकों एवं वैज्ञानिकों के सार्थक चिन्तन,मनन एवं गम्भीर विचारों को रखने के साथ ही बाबा साहब के अनछुए पहलुओं पर भी प्रकाश डाला गया है।
इस सम्पादित पुस्तक को ज्ञानवर्धक उपयोगी एवं जनसामान्य की समझ लायक बनाने के लिए डा0 वीरेन्द्र सिंह यादव ने इसे नौ उपशीर्षकों में डा0 भीमराव अम्बेडकर :व्यकितत्व एवम कृतित्व के विविध पहलू,डा0भीमराव अम्बेडकर :समतामूलक एवम सामाजिक परिवर्तन के प्रवर्तक,डा0 भीमराव अम्बेडकर और दलित विमर्श के विविध सरोकार, डा0 भीमराव अम्बेडकर और दलित एवम नारी मुकित की अवधारणा, डा0 भीमराव अम्बेडकर और धर्म की अवधारणा,डा0 भीमराव अम्बेडकर के सामाजिक, राजनीतिक एवं आर्थिक विचार, परिवर्तन बिन्दु-अम्बेडकर, गांधी और मार्क्सवाद : एक अनुशीलन, डा0 भीमराव अम्बेडकर और उनका दर्शन, डा0 भीमराव अम्बेडकर और उनका शैक्षिक दर्शन आदि में विभाजित किया है।
डा0वीरेन्द्र का मानना है कि हजारों वर्षों से शोषित, पीडि़त, दलित, अछूतजन, शासक-शोषक, परम्परावादियों के जघन्य एवं अमानवीय शोषण, दमन, अन्याय के विरुद्ध छोटे-मोटे संघर्ष को संगठित रूप से देने का कार्य सर्वप्रथम अदभुत प्रतिभा, सराहनीय निष्ठा, न्यायशीलता, स्पष्टवादिता के धनी बाबासाहब युग पुरुष डा0 भीमराव अम्बेडकर जी ने किया। आप ज्ञान के भण्डार दलितों एवं शोषितों के मसीहा बनकर भारतीय समाज में अवतरित हुए। आपने दीन दलित एवं पिछड़ों को समाज में सर ऊँचा कर बराबरी के साथ चलना सिखाया। आप ऐसे समाज की केवल कल्पना ही कर सकते हैं जब दीन दलितों के साथ इन्सान जैसी शक्ल-सूरत होने के बावजूद उन्हें परम्परावादी समाज इन्सान नहीं समझता था, ऐसे समाज के प्रति बाबासाहब ने स्वअसितत्व की सामथ्र्य, असिमता एवं क्रांति की आग जलार्इ, जिससे सामाजिक न्याय प्रापित के लिए अनेक दलित-शोषित कार्यकर्ता आत्मबलिदान के लिये उनके साथ खड़े हो गये।
डा.वीरेन्द्रसिंह यादव की इस पुस्तक में यह स्पष्ट किया गया है कि सामाजिक दर्शन एवं दलितोद्धार आन्दोलन की विहंगम यात्रा में डा0भीमराव अम्बेडकर हमारे समक्ष एक महानायक के रूप में सदैव याद किये जाते रहेंगे। यह निर्विवाद रूप से कहा जा सकता है कि डा0 भीमराव अम्बेडकर जी का सामाजिक दर्शन समानता एवं विश्वबन्धुत्व के संवैधानिक मूल्यों की जमीन तलाश करने की ओर था। साथ ही यह दर्शन दलितों एवं पिछड़ों के लिए विशुद्ध मनुष्यता की मांग करता है। बाबा साहब ने दलितों के लिए ऐसी जमीन तैयार कीष् जिसमें जागरण, रोमानी, क्रांतिकारिता, संघर्ष चेतना के साथ-साथ मानवीय भावों और एहसासों का जीवन संस्पर्श गहरार्इ से मिलता है। हमें पूर्ण विश्वास है कि सामाजिक न्याय एवं समता मूलक समाज के पक्षधर सामाजिक विषमताओं की समस्याओं में रूचि रखने वाले विचारकों , नीति-निर्माताओं, समाज सुधारकों, शोधकर्ताओ एवं जनसामान्य के लिए यह पुस्तक बेहद उपयोगी होगी ।
पुस्तक का नाम- बीसवीं सदी के महानायक : बाबा साहब डा0 भीमराव अम्बेडकर
संपादक-डा.वीरेन्द्रसिंह यादव
पेज-22+480-502
ISSN.978.81.8455.287.4
संस्करण-प्रथम.2011,
मूल्य-995.00
ओमेगा पबिलकेशन्स,43784ठएळ4एजे.एम.डी.हाउस,मुरारी लाल स्ट्रीट,अंसारी रोड, दरियागंज, नर्इ दिल्ली-110002
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें